एक बेनाम खत है, कहो किसके नाम लिख दूं , क्या उसमें लिख दूं ! एक बेनाम खत है, कहो किसके नाम लिख दूं , क्या उसमें लिख दूं !
पर सवाल ये है, क्या यही बात तेरे दिल भी में है ? पर सवाल ये है, क्या यही बात तेरे दिल भी में है ?
यह ज़िन्दगी है यारों, यहां रोज़ लगता एक मेला है। यह ज़िन्दगी है यारों, यहां रोज़ लगता एक मेला है।
कुम्हार के लिए मिट्टी का मटका हूँ मैंं, मांँ की सुनाती हुई लोरी का छोटा सा किस्सा हू कुम्हार के लिए मिट्टी का मटका हूँ मैंं, मांँ की सुनाती हुई लोरी का छोटा सा ...
A poem about changing the centres A poem about changing the centres
क्योंकि शरीर साथ छोड़ता है, जुड़ा रहेगा तो सिर्फ अपनी अंतरात्मा से ! क्योंकि शरीर साथ छोड़ता है, जुड़ा रहेगा तो सिर्फ अपनी अंतरात्मा से !